उन् होंने कहा कि इससे एक तो पारदर्शिता बरती जा सकेगी वहीं लोगों के बीच पार्टी की साफ छवि बन सकती है।
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प्रशासन को इस बात का डर था कि किसी जल्लाद को बुलाने पर गोपनीयता नहीं बरती जा सकेगी, इसलिए जल्लाद से तीन से चार दिन तक प्रशिक्षण दिलाने के बाद सुरक्षाकर्मी ने कसाब को सूली पर चढ़ाया।